खैरागढ: वनमंडल खैरागढ अंतर्गत दुर्लभ प्रवासी पक्षीयो के आगमन से पक्षी प्रेमियो मे उत्साह का महौल है। वनमंडल खैरागढ अंतर्गत रूसे डेम मे पक्षी प्रेमियो ने दुर्लभ एवं विभिन्न प्रवासी पक्षीयो को रिकॉर्ड कर फोटोग्राफ्स विडियोग्राफी किया गया।
रूस से आने वाले सारस पक्षी मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। इस प्रजाति को यूरेशियाई सारस या साधारण सारस (common crane/ Eurasian crane) कहा जाता है। जिसका वैज्ञानिक नाम ग्रुस ग्रुस (Grus grus) है, दक्षिणी अफ़्रीका में मिलने वाली ग्रुस वंश के सारस की एक जाति है। यह उत्तर यूरेशिया में निवास करते हैं, जो शीतकाल निवास के लिए भारत व अन्य स्थानों पर प्रवास करते हैं। जो हमारे भारत देश के प्रवास मे हमारे छत्तीसगढ राज्य के वनमंडल खैरागढ अंतर्गत देखने को मिल रहा है।
शोधकार्य मे शोधकर्ता डाॅ.फैज बक्स, प्रतीक ठाकुर एवं इनके टीम ने खैरागढ वनमंडल अंतर्गत 213 प्रजातियो के पक्षी दर्ज किए है। जिनमे कई दुर्लभ पक्षी शामिल है। यहाँ Utricularia नामक एक कीटभक्षी पौधा पाया गया, जो पानी में मौजूद छोटे-छोटे कीड़ों को खाकर जल को स्वच्छ करता है। इसके अलावा, नाजास, वेलिसनेरिया और लिम्नोफिला जैसे जलीय पौधे प्रवासी बत्तखों के भोजन का मुख्य स्रोत हैं। मछलियों की भी कई महत्वपूर्ण प्रजातियाँ यहाँ पाई गईं, जिनमें रोहू, कतला, पोठी, मोला और टेंगना प्रमुख हैं। ये शिकारी पक्षियों के भोजन का अहम हिस्सा हैं और स्थानीय पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं। इन शोधार्थियो का मानना है कि यदि इस क्षेत्र को ईको-टूरिज्म से जोड़ा जाए, तो यह जगह पक्षी प्रेमियों, शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन सकती है। खैरागढ़ का यह वेटलैंड सर्वेक्षण न केवल यहाँ की जैव विविधता को उजागर करता है, बल्कि हमें प्रकृति के इन अनमोल खजानों को बचाने की जिम्मेदारी भी याद दिलाता है। यदि इन वेटलैंड्स को संरक्षित किया जाए, तो आने वाले वर्षों में यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पक्षी विहार बन सकता है।
हजारो किलोमीटर दूर से आए प्रवासी पक्षी यहां विश्राम और भोजन करने के लिए रूकते है। जिससे यह क्षेत्र छत्तीसगढ के एक प्रमुख जैव विविधता हाॅटस्पाॅट के रूप मे उभर रहा है।
छत्तीसगढ बायोडायवर्सिटी बोर्ड और खैरागढ वनमंडल द्वारा सभी वेटलैंड्स का सर्वेक्षण कार्य कराकर रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। खैरागढ वनमंडल अंतर्गत 1500 से अधिक की संख्या मे प्रवासी पक्षी आए है और इस के.सी.जी. जिला अंतर्गत 213 प्रजाति रिकॉर्ड किया गया है। वन विभाग द्वारा सभी वेटलैंड्स की संरक्षण संवर्धन हेतु वैज्ञानिक तरीके से कार्य किया जा रहा है। स्वच्छ सफाई रखने के संदेश से वेटलैंड्स के किनारे साइनबोर्ड और डस्टबीन भी लगाया जा रहा है। वेटलैंड्स संरक्षण संवर्धन हेतु गांव-गांव मे जागरूकता प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
बर्ड वाचर और शोधार्थी BFO योगेश कोर्राम ने एक दिवसीय बर्ड वॉचिंग के दरम्यान रूसे डेम मे बडी संख्या मे Black-headed Ibis के साथ विभिन्न दुर्लभ प्रजाति व प्रवासी पक्षी जैसे
Common Crane (Grus grus) , Painted Stork (Mycteria leucocephala) , White-eyed Buzzard (Butastur teesa) , Northern pintail (Anas acuta) , Osprey (Pandion haliaetus) , Eurasian spoonbill (Platalea leucorodia) , Tufted duck (Aythya fuligula) , Grey heron (Ardea cinerea) , Great cormorant (Phalacrocorax carbo) , Bar-headed goose (Anser indicus) , Black-headed Ibis (Threskiornis melanocephalus) , Indian spot-billed duck (Anas poecilorhyncha) , Lesser whistling duck (Dendrocygna javanica) , Red-naped ibis (Pseudibis papillosa) रिकार्ड किया और फोटोग्राफ्स लिया गया।