करियाटोला डोंगरगांव में फिर से खुलेआम दिन और रात में बिना रॉयल्टी के रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन जोरों पर

0 पिछले दिनों रेत का अवैध परिवहन करते 4 ट्रैक्टर जप्त किया गया थान डोंगरगांव तहसीलदार प्यारेलाल नाग के द्वारा

राजनांदगांव।जिले के डोंगरगांव के करियाटोला क्षेत्र में एक बार फिर से रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन खुलेआम किया जा रहा है। स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि इस अवैध गतिविधि के कारण न केवल प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी हो रही है, बल्कि इससे आसपास के पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। दिन और रात, दोनों वक्तों में अवैध रेत खनन और परिवहन जारी है, और इस पर प्रशासन की कोई प्रभावी कार्रवाई देखने को नहीं मिल रही है।

रेत के अवैध उत्खनन और उसकी रॉयल्टी के बिना परिवहन के मामले में एक नई दिक्कत यह सामने आ रही है कि स्थानीय प्रशासन और खनिज विभाग इस पर या तो आंखें मूंदे हुए हैं या फिर किसी तरह की कार्रवाई करने में नाकाम हो रहे हैं। कुछ लोगों का आरोप है कि इस अवैध खनन में कुछ स्थानीय नेता और व्यापारी भी शामिल हैं, जो इस खेल में बिचौलिये की भूमिका निभा रहे हैं।

इस अवैध उत्खनन के कारण आसपास के इलाकों में खनिज संसाधनों की बेतहाशा कमी हो रही है। रेत का अत्यधिक उत्खनन नदियों और नालों के मार्ग को प्रभावित कर रहा है, जिससे जल स्रोतों का स्तर घट रहा है और पानी की कमी हो रही है। इसके अलावा, भूमि की कटाई से इलाके में बाढ़ का खतरा भी बढ़ सकता है।

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रेत के अवैध उत्खनन से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि राज्य सरकार को रॉयल्टी की काफी हानि हो रही है। रॉयल्टी से प्राप्त होने वाली आय का सही तरीके से उपयोग न होने के कारण विकास योजनाओं को भी गंभीर असर पड़ सकता है। यह स्थिति राज्य की खनिज नीति और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से भी चिंताजनक है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक प्रशासन सक्रिय नहीं होता, तब तक यह गतिविधियाँ बेरोकटोक चलती रहेंगी। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी रेत के अवैध उत्खनन को रोकने में कोई गंभीर प्रयास नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, अवैध व्यापारियों द्वारा क्षेत्रीय ठेकेदारों के साथ मिलकर रेत के अवैध उत्खनन में शामिल होने की खबरें भी सामने आई हैं।

हालांकि, शासन प्रशासन द्वारा रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन इन दिशा-निर्देशों का पालन सही तरीके से नहीं हो रहा है। सख्त निगरानी और प्रभावी कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि इस तरह के अवैध गतिविधियों को रोका जा सके और प्रदेश की खनिज संपत्तियों का संरक्षण किया जा सके।

अगर प्रशासन इस दिशा में तुरंत कदम नहीं उठाता है, तो यह न केवल राज्य के पर्यावरण के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरे की घंटी हो सकती है। इसलिए, नागरिकों और पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदार संगठनों को भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाना चाहिए और प्रशासन पर दबाव डालना चाहिए ताकि इस तरह के अवैध कार्यों पर रोक लगाई जा सके।